धीरज साहू झारखंड से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं | सांसद धीरज साहू और उनके करीबियों के तीन राज्यों झारखंड ,उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के 10 ठिकाने पर आयकर विभाग के द्वारा छापेमारी की गई छापेमारी के दौरान शनिवार तक 300 करोड़ से ज्यादा का कैश मिला हुआ है | टैक्स चोरी के मामले में उनके घर ऑफिस और फैक्ट्री में बुधवार 6 दिसंबर को छापेमारी शुरू की गई थी | धीरज झारखंड से राज्यसभा सांसद भी है | इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम (हिंदुस्तान अवाम मोर्चा) के सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर लिखा है |
कि यह कैश तो कुछ भी नहीं बिहार में कई ऐसे राजनेता हैं | जिनके पास इससे कई गुना ज्यादा माल है | वैसे भ्रष्ट नेता और नौकरशाहो को मैं बता दूं कि यह मोदी राज है | यहां गरीबों के घरों से लूटे हुए हर पैसे का हिसाब देना होगा झारखंड में तो प्रोमो चल रहा है | जल्द ही बिहार में पूरी फिल्म चलेगी |
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कौन है धीरज साहू |
23 नवंबर 1955 को रांची में जन्म हुआ धीरज प्रसाद साहू के पिता का नाम राय साहब बलदेव साहू और मां सुशीला देवी है | रांची के मारवाड़ी कॉलेज से B.A तक की पढ़ाई की है | तीन बार राज्यसभा सांसद रहे हैं, धीरज की एक वेबसाइट है | जिसमें वह खुद को एक कारोबारी भी बताते हैं | पिता राय साहब बलदेव साहू स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल रहे है | आजादी के वक्त से ही परिवार कांग्रेस से जुड़ा हुआ है |
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पटना के सिवान जिले में शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार के कार्यालय पर भी निगरानी की हैं | सिवान जिले के महादेवी के मिशन कंपाउंड स्थित आवास में तथा पटना के बोरिंग रोड मैं कवि रमन पथ स्थित देवत मिशन में प्लेट नंबर 202 में छापामारी की जिसके तहत अभी तक 300 करोड़ से अधिक रुपए मिले हैं | हम बता दे की मिथिलेश कुमार ने अलमारी में कपड़े घड़ियां, टाइप, पेन और बहुत सारे सोना – चांदी आदि सब संभाल के रखे हुए थे | निगरानी विभाग द्वारा बरामद में एक पॉलिथीन में रखकर के पेपर से लपेटे हुए पैसे को उन्होंने कार्टून में रख करके फेक दिए गए और उसके ऊपर बेकार कपड़े आदि बिग दिए थे | निगरानी विभाग द्वारा बरामद में 500-500 के 16 गडी बने हुए नोट के ऊपर उसकी संख्या भी पेंसिल से लिखी गई थी |
अभी तक धीरज साहू ने कांग्रेस के तीन बार राज्यसभा सांसद बने हैं | हम बता दे की बलदेव साहू और ग्रुप ऑफ़ कंपनी के धीरज साहू, स्वराज साहू राज किशोर साहू एवं सहित परिवार के और सदस्य भी शामिल हैं | यहां की उड़ीसा के कारोबार दीपक सहकारी और संजय साहू संभालते हैं | धीरज साहू के ठिकानों पर हुई छापामारी के बाद एक बार फिर झारखंड का भ्रष्टाचार की कहानी में शामिल हो गया है जो की कहीं ना कहीं झारखंड के प्रतिष्ठा की आपमान हुआ है |
अब बात करते हैं धीरज की कमाई की हैं |
2018 में राज्यसभा के लिए चुने जाने से पहले दाखिल चुनावी हलफनामे में धीरज ने अपनी संपत्ति 34.83 करोड़ रुपये की घोषित की थी। इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने बताया था कि वित्त वर्ष 2016 – 2017 में उनकी कमाई 1.0047 करोड़ रुपये थी।
20 करोड़ की चल संपत्ति का दावा
धीरज साहू ने कुल 20.41 करोड़ रुपये की चल संपत्ति होने का दावा किया था। उस वक्त शपथ पत्र में कांग्रेस नेता ने अपने पास कुल 27 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी घोषित की थी। इसमें खुद के पास 15 लाख रुपये, पत्नी के पास 1.25 लाख रुपये और दो आश्रितों के पास 10 लाख रुपये से ज्यादा की नकदी बताई गई थी।
धीरज ने खुद, पत्नी और आश्रितों के लोहरदगा, संबलपुर, गुमला, बोलनगीर और दिल्ली में कुल 22 बैंक खाते बताए थे। इन बैंक खातों में कुल 8.59 करोड़ रुपये जमा की जानकारी दी गई थी।
कांग्रेस सांसद ने 31.16 लाख रुपये के कंपनियों और निधियों में शेयर बताए थे। इसी तरह धीरज ने 8 लाख रुपये की जमा बीमा का उल्लेख किया था। उस वक्त कांग्रेस सांसद के पास 75.46 लाख रुपये की राशि किसी व्यक्ति और निकाय को दिए ऋण और एडवांस के रूप में थी।
बीएमडब्ल्यू, फॉर्च्यूनर और रेंज रोवर जैसी कारें |
धीरज के हलफनामे के अनुसार, उनके नाम पर 1.51 करोड़ रुपये कीमत के कुल दस कारें हैं । इनमें 87 लाख रुपये की सबसे महंगी कार बीएमडब्ल्यू केवी42, 32 लाख रुपये की फॉर्च्यूनर, 24 लाख रुपये की रेंज रोवर और 8.5 लाख रुपये की सबसे सस्ती पजेरो कार है।
2.91 करोड़ रुपये के गहने, इनमें सोने एवं चांदी के सिक्के भी हैं |
कांग्रेस सांसद ने अपने शपथ पत्र में कुल 1.51 करोड़ रुपये के गहनों का जिक्र किया था। इनमें 8 लाख रुपये की 20 किलोग्राम के चांदी के गहने और 26 लाख रुपये की हीरे के आभूषण खुद के नाम पर बताए थे। वहीं, पत्नी के नाम पर 94.55 लाख रुपये के 3100 ग्राम स्वर्ण आभूषण और 7 लाख रुपये की हीरे के आभूषण का उल्लेख किया गया था। इसके अलावा एक आश्रित के नाम पर 10 लाख रुपये की 25 किलोग्राम की चांदी और 5.4 लाख रुपये की सोने के सिक्के की जानकारी दी गई थी।
अब तक कितना पैसा मिला हैं |
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, छापे के दौरान नोटों की गड्डियों से भरी करीब 10 अलमारियां मिलीं | ये अलमारियां 500, 200 और 100 रुपए के नोटों से भरी हुई थीं | जिनकी गिनती अब भी जारी है. नकदी का सही आंकड़ा गिनती के बाद ही पता चल पाएगा | बताया गया कि छापे के दौरान जब्त इन नोटों की गिनती में बैंककर्मियों के साथ-साथ आकर विभाग के तीस से ज्यादा कर्मचारी भी जुटे हैं | नोट गिनने के लिए 8 से ज्यादा मशीनों का इस्तेमाल किया गया. इस दौरान कई मशीनें खराब भी हो गईं |
इसके साथ ही छापेमारी के दौरान आयकर विभाग की टीमों ने कंपनी के कई खातों को भी फ्रीज कर दिया. अब इन खातों से फिलहाल कोई लेन-देन नहीं हो पाएगा. साथ ही दावा किया गया कि इतनी बड़ी रकम को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय की भी इस मामले की छानबीन में एंट्री हो सकती है |
जब्त रुपए का क्या होता है |
जांच या छापेमारी के दौरान अवैध संपत्ति कैश या गहनों की बरामद को एजेंसी जप्त कर सकती शक्ति के पास जो खर्च करने का अधिकार नहीं होता है हैं हालांकि एजेंसी के पास उसे खर्च करने का अधिकार नहीं होता है जांच एजेंसी के द्वारा जप्त किए गए रुपए संपत्ति या गहनों के बारे में अभियुक्ति से सबसे पहले पूछताछ की जाती है इसमें अभियुक्त को प्रूफ करना होता है कि उसके पास से बरामद रुपयो का स्रोत क्या है उसने इसके लिए सरकार को टैक्स दिया है या नहीं इसके आधार पर कोर्ट में दोष सिद्ध होने के बाद केंद्रीय एजेंसियां गहने ,गाड़ियां, घर, फ्लैट और बंगले जैसे अचल संपत्ति को नीलाम कर सकते हैं इन मामलों के कारण किन्हीं अन्य पक्ष को किसी तरह का नुकसान हुआ हो या किसी तरह से प्रभावित हुए हो तो उसके घाटे की पूर्ति नीलामी में से की जा सकती है