नमस्ते दोस्तों आज एक नए लेख में आप सभी का स्वागत है-केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने रविवार को कहा कि मैं गारंटी देता हूं ,कि देशभर में 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) लागू हो जाएगा |
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केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर कौन है
@ शांतनु ठाकुर एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में बनगांव से लोकसभा सांसद है | वह भारतीय जनता पार्टी के राजनेता हैं | 7 जुलाई 2021 को कैबिनेट फेर बदल के बाद उन्होंने बंदरगाह , जहाज रानी और जल मार्ग मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है | इनका जन्म 3 अगस्त 1982 ई को ठाकुर नगर, उत्तर 24 परगना ,पश्चिम बंगाल ,भारत में हुआ था | 2019 के आम चुनाव में वह परिसीमन के बाद इस निर्वाचन क्षेत्र में चुने जाने वाले पहले गैर टीएमसी सांसद बने | जब वह भाजपा के टिकट पर चुने गए | वह बंगाल के पूर्व मंत्री मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे हैं वह अखिल भारतीय मतुवा महासंघ के नेता हैं |
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने नागरिक संशोधन अधिनियम पर क्या बोले
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक रैली को संबोधित कर रहे थे | उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल ही नहीं देशभर में अगले 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम लागू हो जाएगा | उन्होंने कहा कि मैं गारंटी देता हूं कि देशभर में 7 दिनों के अंदर नागरिक संशोधन अधिनियम लागू हो जाएगा | केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर बनगांव से भाजपा के सांसद है | शांतनु ठाकुर ने कहा कि नागरिक के संशोधन अधिनियम लागू होने से हमें बहुत ही खुशी होगी |
शांतनु ठाकुर के बयान के बाद पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस का बयान
केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA ) पर बयान के बाद पश्चिम बंगाल राज्य में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने फिर दोहराया कि राज्य में नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) में किसी हाल में लागू नहीं होगा | तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने भाजपा और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया की लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को गुमराह करने के लिए ऐसी खबरें फैलाई जा रही है |
कोलकाता में पिछले साल दिसंबर में गृह मंत्री अमित शाह का बयान
इससे पहले कोलकाता में पिछले साल दिसंबर में एक रैली के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है | अमित शाह ने घुसपैठ ,भ्रष्टाचार, राजनीतिक ,हिंसा और तुष्टीकरण के मुद्दों पर ममता बनर्जी को घेरा था | उन्होंने लोगों से ममता सरकार को बंगाल से हटाने और 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा को चुनने का आग्रह भी किया था |
अमित शाह के बयान के बाद ममता बनर्जी ने कहा
अमित शाह के बयान पर ममता बनर्जी ने कहा था कि वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं | पहले नागरिकता कार्ड जिला मजिस्ट्रेट की जिम्मेदारी थी | लेकिन अब केवल राजनीति के लिए छीन लिया गया है | वे लोगों को विभाजित करना चाहते हैं | वह इसे किसी को देना चाहते हैं और दूसरों को इससे वंचित करना चाहते हैं | यदि किसी समुदाय को नागरिकता मिल रही है तो दूसरों को भी मिलनी चाहिए |
नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में भर के दंगों में 50 से ज्यादा जान गई थी
लोकसभा में आने से पहले ही यह बिल विवाद में था | लेकिन जब एक कानून बन गया तो उसके बाद इसका विरोध और तेज हो गया दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए 23 फरवरी 2020 की रात जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर भीर के इकट्ठा होने के बाद भरके हिंसा , दंगों में तब्दील हो गई | विरोध में भरके दंगों में लगभग 50 लोगों की जान चली गई थी |
चार राज्यों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोध में प्रस्ताव पारित हो चुका है
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) बिल संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद चार राज्य इसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर चुके हैं | सबसे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनाराय विजयन ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि यह धर्मनिरपेक्ष नजरिया और देश के ताने-बाने के खिलाफ है | इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होता है |
इसके बाद पंजाब और राजस्थान सरकार ने विधानसभा में नागरिक संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया चौथ राज्य पश्चिम बंगाल था जहां इस बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया पश्चिम बंगाल के सीएम ने कहा था कि बंगाल में हम (CAA), एनपीआर और NRC की अनुमति नहीं देते हैं |
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA) 2019
भारतीय नागरिकता कानून 1955 में बदलाव के लिए 2016 में नागरिक संशोधन विधेयक (CAA) 2016 संसद में पेश किया गया था | यह लोकसभा में 10 दिसंबर 2019 और अगले दिन राज्यसभा में पास हुआ | 12 दिसंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) कानून बन गया |
भारतीय नागरिकता कानून 1955 में अब तक छह बार 1986,1992,2003,2005,2015,2019 संशोधन हो चुका है | पहले भारतीय नागरिकता लेने के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी था | संशोधित कानून में यह अवधि घटकर 6 साल कर दी गई है | नागरिकता संशोधन विधेयक का पूर्वोत्तर राज्य खासकर बांग्लादेशी सीमा से सटे असम -पश्चिम बंगाल में काफी विरोध हुआ था | असम के लोगों का तर्क था कि बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता देने से यहां के मूल निवासियों के अधिकार खत्म हो जाएंगे | केंद्र सरकार असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर NRC भी लाई थी जिसका मकसद यहां रह रहे घुसपैठियों की पहचान करना था |
2019 में लोकसभा एवं राज्यसभा से नागरिकता संशोधन अधिनियम बिल पास हो चुका है
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे | अगले दिन 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई | देश भर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले चुका था | इसे गृह मंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था |